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ashish
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निर्गमन 23:25 और तुम अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करना, तब वह तेरे अन्न जल पर आशीष देगा, और तेरे बीच में से रोग दूर करेगा। इस वचन मे हम देखे तो परमेश्वर हम से दो वादे करता है पहला अन्न जल पर आशीष देगा और दूसरा हमारे जीवन से रोग दूर करेगा लेकिन इसे पाने के लिए हमे परमेश्वर की उपासना करना होगा और इस वादे पर विश्वास करना होगा। उपासना करना मतलब परमेश्वर की स्तुती करना,परमेश्वर का धन्यवाद करना और उसकी आराधना करना होता है जब आप ऐसा करते है तब आप परमेश्वर की उपासना करते है। जब कोई परमेश्वर की स्तुती करता है तो परमेश्वर खुश होते और परमेश्वर उस जगह आ जाते है । (भजन सहिता 22:3) और एक ओर वचन मे लिखा है परमेश्वर के लोग जब परमेश्वर की स्तुति ऊँची आवज मे कर रहे थे परमेश्वर के भवन मे तो परमेश्वर का महिमा का बादल उस जगह आ गया ओर लोग परमेश्वर की उपस्थिति मे खड़े नही रह सके।(2इतिहास5:13,14) आप सोच रहे होंगे ये कैसे हो गया क्योकि उन्होंने परमेश्वर का आदर किया परमेश्वर की स्तुति करने के दावरा। यदि आप किसी बीमार से परेशान हो तो आप परमेश्वर की उपासना(स्तुती, आराधना) करे परमेश्वर आप के जीवन से रोग दूर करेग
भय
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यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, और परमपवित्र ईश्वर को जानना ही समझ है।” नीतिवचन 9:10 अरे ये परमेश्वर का भय मानना आखिर होता क्या है? खैर इस सवाल का जवाब तो आपका विवेक ही जानता है अच्छे से.. अपने जीवन में हर कदम पर आपका विवेक इस सवाल का जवाब देगा कि – क्या मैं जो कर रहा हूँ तो मैं परमेश्वर का भय मानता हूँ या नहीं? पर, पर, पर… मैं आपकी कुछ तो मदद कर ही सकता हूँ (लगभग 1-2% 🙂 ) कुछ सवाल आपके सामने रखके, कौन जानता है कि कही इन सवालों से आपको कुछ और नए बिन्दु मिल जाएँ यह समझने के लिए कि परमेश्वर का भय मानना क्या होता है? :- तो सबसे महत्वपूर्ण सवाल – सबसे पहले (यह सबसे महत्वपूर्ण सवाल है मेरे हिसाब से !) परमेश्वर का भय मानने के लिए, हमें परमेश्वर के वचनों के अनुसार जीना होगा.. 1) क्या आप परमेश्वर के वचनों पर चलने का पूरा-पूरा प्रयास करते हैं? (पर ऐसा करने के लिए तो हमें रोज़ परमेश्वर का वचन पढ़ना होगा ना और उसपर रोज़ मनन करना होगा ना..!) तो देखा दाए तो यह सवाल कुछ ऐसा हो जाएगा: क्या आप परमेश्वर के वचनों पर रोज़ मनन करते हैं और उन वचनों पर चलने का पूरा-पूरा प्रयास करते हैं? 2
चंगाई
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धर्मी पर बहुत सी विपत्तियां पड़ती तो हैं, परन्त यहोवा उसको उन सब से मुक्त करता है। भजन संहिता ३४:१९ यदि तुम में कोई रोगी हो, तो कलीसिया के प्राचीनों को बुलाए, और वे प्रभु के नाम से उस पर तेल मल कर उसके लिये प्रार्थना करें। और विश्वास की प्रार्थना के द्वारा रोगी बच जाएगा और प्रभु उस को उठाकर खड़ा करेगा; और यदि उस ने पाप भी किए हों, तो उन की भी क्षमा हो जाएगी। इसलिये तुम आपस में एक दूसरे के साम्हने अपने अपने पापों को मान लो, और एक दूसरे के लिये प्रार्थना करो, जिस से चंगे हो जाओ। धर्मी जन की प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ हो सकता है। याकूब ५:१४-१६ वह अपने वचन के द्वारा उनको चंगा करता और जिस गड़हे में वे पड़े हैं, उस से निकालता है। भजन संहिता १०७:२० तेरे मूल पुरुष दाऊद का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि मैं ने तेरी प्रार्थना सुनी और तेरे आंसू देखे हैं, देख, मैं तुझे चंगा करता हूँ। २ राजा २०:५ मैं तेरा इलाज करके तेरे घावों को चंगा करूंगा, यहोवा की यह वाणी है। यर्मियाह ३०:१७ वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है। यशायाह ४०:२९ वही तो तेरे सब अधर्म को क्ष
शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शान्ति है; रोमियों 8:6
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शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शान्ति है। क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्वर से बैर रखना है, क्योंकि न तो परमेश्वर की व्यवस्था के आधिन है, और न हो सकता है। और जो शारीरिक दशा में हैं, वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते। परन्तु जब कि परमेश्वर का आत्मा तुम में बसता है, तो तुम शारीरिक दशा में नहीं, परन्तु आत्मिक दशा में हो।- रोमियों 8:6-9अ परमेश्वर का वचन यह स्पष्ट करता है। यदि आप स्वभाविक, शारीरिक और अनविनिकृत मन के पीछे चलेंगे तो यह आपको मृत्यु तक पहुँचाएगी। परन्तु यदि आप आत्मिक मन रखेंगे, इसका तात्पर्य यह है कि परमेश्वर का पवित्र आत्मा आपके भीतर रहता है। और जो कुछ वह आप से करने के लिये कहता है, उसे आप करते हैं। तो आप जीवित और परमेश्वर के साथ चल रहे हैं। चुनाव आपका है। आप कम से कम प्रतिरोध वाले नदी में सफर कर सकते हैं और जहाँ कहीं धारा आपको ले जाए वहाँ आप जा सकते हैं। या आप परमेश्वर के बहाव में चलने का चुनाव कर सकते हैं। हम उसे आत्मा में चलना या मसीह के स्वभाव को जीना कहते हैं। मेरे पास आपको यह सिखाने के लिये काफी सलाह हैं, कि मसीह के मन मे