भय
यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, और परमपवित्र ईश्वर को जानना ही समझ है।”
नीतिवचन 9:10
अरे ये परमेश्वर का भय मानना आखिर होता क्या है?
खैर इस सवाल का जवाब तो आपका विवेक ही जानता है अच्छे से.. अपने जीवन में हर कदम पर आपका विवेक इस सवाल का जवाब देगा कि – क्या मैं जो कर रहा हूँ तो मैं परमेश्वर का भय मानता हूँ या नहीं?
पर, पर, पर… मैं आपकी कुछ तो मदद कर ही सकता हूँ (लगभग 1-2% 🙂 ) कुछ सवाल आपके सामने रखके,
कौन जानता है कि कही इन सवालों से आपको कुछ और नए बिन्दु मिल जाएँ यह समझने के लिए कि परमेश्वर का भय मानना क्या होता है? :-
तो सबसे महत्वपूर्ण सवाल – सबसे पहले (यह सबसे महत्वपूर्ण सवाल है मेरे हिसाब से !)
परमेश्वर का भय मानने के लिए, हमें परमेश्वर के वचनों के अनुसार जीना होगा..
1) क्या आप परमेश्वर के वचनों पर चलने का पूरा-पूरा प्रयास करते हैं?
(पर ऐसा करने के लिए तो हमें रोज़ परमेश्वर का वचन पढ़ना होगा ना और उसपर रोज़ मनन करना होगा ना..!)
तो देखा दाए तो यह सवाल कुछ ऐसा हो जाएगा:
क्या आप परमेश्वर के वचनों पर रोज़ मनन करते हैं और उन वचनों पर चलने का पूरा-पूरा प्रयास करते हैं?
2) क्या आप हर रविवार एक बाईबल आधारित चर्च जाते हैं? (जहाँ परमेश्वर का भय मानना सिखाया जाता है, जहाँ परमेश्वर का वचन सिखाया जाता है..)
और बाकि ऐसे कईं सवाल हो सकते हैं पर कुछ भी उनमे से परमेश्वर के वचन से बाहर नहीं जाऐगा..
मैं आज आपको उत्साहित करना चाहता हूँ, क्यों न हम अपने किमती समय में से थोड़ा समय निकालें परमेश्वर का वचन सिखने के लिए, हर रविवार चर्च जाने के लिए, संगति रखने के लिए ताकि हम परमेश्वर के भय में जीवन जीएँ, और आप तो अच्छे से जानते ही हैं कि इससे बुद्धि और समझ प्राप्त होगी..
“यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, और परमपवित्र ईश्वर को जानना ही समझ है।”
नीतिवचन 9:10
और बुद्धि और समझ से ही हमारे घर, हमारे परिवार मज़बूत बनेंगे.. और शानदार बनेंगे
इसलिए तो बुद्धि और समझ का मुल्य रूपयों, पैसों से भी ज्यादा है…
”क्योंकि बुद्धि की प्राप्ति चान्दी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभ चोखे सोने के लाभ से भी उत्तम है।
वह मूंगे से अधिक अनमोल है, और जितनी वस्तुओं की तू लालसा करता है, उन में से कोई भी उसके तुल्य न ठहरेगी। ”
नीतिवचन 3:14-15
क्यों न हम अपना थोड़ा-सा किमती “समय निकालें” बुद्धि और समझ पाने के लिए..
क्यों न हम थोड़ा “यत्न करें” बुद्धि और समझ पाने के लिए..
”बुद्धि श्रेष्ठ है इसलिये उसकी प्राप्ति के लिये यत्न कर, जो कुछ तू प्राप्त करे उसे प्राप्त तो कर परन्तु समझ की प्राप्ति का यत्न घटने न पाए। ”
नीतिवचन 4:7
प्रार्थना
प्रेमी प्रभु यीशु,
मुझे अपनी उपस्थिति से भरें। आपकी बुद्धि के साथ भरें। मेरी मदद करें कि मैं अच्छी तरह से पढूं। पढाई करते समय मुझे कोई तनाव न रहे। मैं उत्तमता से और ध्यान से पढूं। मेरे चारों ओर एक शांतिपूर्ण वातावरण दें। मैं अपनी परीक्षाओं को आपके हाथों में देती हूं। मेरे कामों पर नियंत्रण करें। मुझे सफलता दें। आपके अनमोल नाम में,
मैं प्रार्थना करती हूं, आमीन!
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